"दाल मखनी क्यों कहलाती है दाल मखनी? पूरा इतिहास जानिए"


दाल मखनी का इतिहास और नाम का रहस्य

दाल मखनी क्या है?

दाल मखनी भारत की सबसे मशहूर और रॉयल दाल डिश मानी जाती है। यह मुख्य रूप से साबुत उड़द दाल (काली दाल), राजमा, मक्खन और क्रीम से बनती है। इसका स्वाद इतना समृद्ध और मलाईदार होता है कि इसे हर बड़े रेस्तरां से लेकर घरों तक खास मौके पर जरूर बनाया जाता है।


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दाल मखनी का इतिहास

दाल मखनी का इतिहास 20वीं शताब्दी के मध्य से जुड़ा हुआ है।

इसका आविष्कार दिल्ली के मोती महल रेस्टोरेंट में हुआ था, जिसे कुंदन लाल गुप्ता और उनके साथियों ने शुरू किया था।

वे मूल रूप से पेशावर (अब पाकिस्तान में) से थे और 1947 के बंटवारे के बाद दिल्ली आकर बसे।

मोती महल में ही पहली बार दाल मखनी और साथ ही बटर चिकन को मशहूर किया गया।


पहले पंजाब में "मां की दाल" या "काली दाल" बनाई जाती थी, जिसमें सिर्फ उड़द की दाल धीमी आंच पर पकाई जाती थी। लेकिन मोती महल के शेफ्स ने इसे और खास बनाने के लिए इसमें मक्खन और क्रीम का इस्तेमाल किया। इसी से बनी यह नई डिश “दाल मखनी”।


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दाल मखनी नाम क्यों पड़ा?

दाल: क्योंकि इसकी मुख्य सामग्री है — काली उड़द दाल और राजमा।
जब राजमा को भीगोया जाता है तो काली दाल मे हाथो मैश  करने पर दाल के अंदर से white 
Creamy मखनी निकलती है ईसी को दाल मखनी कहते है

और साथ ही वह मखनी: हिंदी/उर्दू शब्द “मक्खन” से लिया गया है, जिसका मतलब है “बटर वाला” या “मलाईदार”।
इसमें अब रेस्टोरेंट मे काफ़ी मात्रा में मक्खन और क्रीम का इस्तेमाल होता है, इसलिए इसे “मक्खनी दाल” या दाल मखनी कहा जाने लगा।



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दाल मखनी की खासियत

1. यह धीरे-धीरे घंटों तक पकाई जाती है ताकि हर मसाले और मक्खन का स्वाद दाल में अच्छे से उतर जाए।


2. इसमें मक्खन और ताज़ा क्रीम का खास उपयोग इसे और रिच और स्मूद बना देता है।


3. इसे आमतौर पर नान, तंदूरी रोटी या चावल के साथ परोसा जाता है।




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आज की दाल मखनी

आज दाल मखनी सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में भारतीय रेस्टोरेंट्स की शान है। चाहे पांच सितारा होटल हो या विदेशों के भारतीय ढाबे — हर जगह इसका नाम लिया जाता है।


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✅ निष्कर्ष:
दाल मखनी सिर्फ एक डिश नहीं बल्कि भारतीय खानपान की विरासत है। इसका नाम मक्खन और क्रीम से आने वाली रिचनेस को दर्शाता है, और इसका इतिहास हमें भारत-पाक विभाजन और दिल्ली के मोती महल की याद दिलाता है।

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