भारत-पाकिस्तान जल विवाद: तुलबुल परियोजना की वापसी और नई रणनीति


भारत-पाकिस्तान जल विवाद: तुलबुल परियोजना की वापसी और नई रणनीति

परिचय

भारत और पाकिस्तान के बीच जल संसाधनों को लेकर तनाव एक बार फिर सुर्खियों में है। हाल ही में भारत ने 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में बनी इंडस वाटर्स ट्रीटी (IWT) को निलंबित करने के बाद तुलबुल नेविगेशन परियोजना को पुनर्जनन देने का फैसला किया है। यह कदम न केवल जम्मू और कश्मीर में जल प्रबंधन को मजबूत करने की दिशा में है, बल्कि क्षेत्रीय जल संसाधनों पर भारत की बढ़ती रणनीतिक दावेदारी को भी दर्शाता है।

तुलबुल नेविगेशन परियोजना: एक अवलोकन

तुलबुल नेविगेशन परियोजना जम्मू और कश्मीर के सोपोर क्षेत्र में झेलम नदी पर एक नियंत्रित जल भंडारण सुविधा स्थापित करने की योजना है। इसका मुख्य उद्देश्य वुलर झील के जल प्रवाह को विनियमित करना और शुष्क मौसम में जल उपलब्धता को सुनिश्चित करना है। इस परियोजना के तहत लगभग 300,000 एकड़-फीट जल भंडारण की क्षमता विकसित करने का लक्ष्य है। इसके अतिरिक्त, यह परियोजना श्रीनगर और बारामुल्ला के बीच 4.5 फीट ड्राफ्ट के साथ वाहनों की आवाजाही को भी सुगम बनाएगी।

हालांकि, इस परियोजना की शुरुआत 1984 में हुई थी, लेकिन पाकिस्तान के विरोध के कारण 1987 में इसे रोक दिया गया। पाकिस्तान का दावा था कि यह परियोजना इंडस वाटर्स ट्रीटी के नियमों का उल्लंघन करती है। वर्ष 2010 में जम्मू और कश्मीर सरकार ने इसे फिर से शुरू करने की कोशिश की, लेकिन 2012 में आतंकवादी हमले और अन्य बाधाओं के कारण यह फिर से ठप हो गई।

इंडस वाटर्स ट्रीटी का निलंबन

अप्रैल 2025 में पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने इंडस वाटर्स ट्रीटी को निलंबित करने का ऐलान किया। इस संधि के तहत, भारत को रावी, सतलुज और ब्यास (पूर्वी नदियों) पर नियंत्रण प्राप्त है, जबकि सिंधु, झेलम और चिनाब (पश्चिमी नदियों) का पानी मुख्य रूप से पाकिस्तान को जाता है। भारत ने इस निलंबन को आतंकवाद के खिलाफ जवाबी कार्रवाई के रूप में देखा, जिसे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह संधि अब बहाल नहीं की जाएगी।

भारत की नई रणनीति

तुलबुल परियोजना का पुनर्जनन भारत की नई नीति का हिस्सा है, जो जल संसाधनों पर अपनी स्थिति को मजबूत करने पर केंद्रित है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारत की क्षेत्रीय प्रभुत्व और रणनीतिक आक्रामकता को दर्शाता है। भारत का तर्क है कि संधि के तहत पश्चिमी नदियों पर गैर-उपभोगी उपयोग (जैसे भंडारण और नेविगेशन) की अनुमति है, और तुलबुल परियोजना पूरी तरह से भारत की संप्रभु सीमाओं के भीतर है। यह परियोजना न केवल जल प्रबंधन को बेहतर बनाएगी, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए आर्थिक और परिवहन लाभ भी लाएगी।

हालांकि, पाकिस्तान ने इस कदम को संधि का उल्लंघन माना है और इसे "जल आतंकवाद" करार दिया है। पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी ने चेतावनी दी है कि जल प्रवाह में रुकावट को "अस्तित्व के लिए खतरा" माना जा सकता है, जिसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

परियोजना की वर्तमान स्थिति

हाल के समाचारों के अनुसार, तुलबुल परियोजना के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार करने का काम शुरू हो गया है, जिसे पूरा होने में लगभग एक वर्ष का समय लगेगा। इसके बाद ही परियोजना को आगे बढ़ाने का अंतिम निर्णय लिया जाएगा। यह कदम भारत के जल संसाधनों के अधिकतम उपयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभाव

इस कदम ने भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक नया तनाव पैदा कर दिया है। पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस मुद्दे को उठाया है और हाल ही में कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन के एक फैसले का हवाला देकर भारत से संधि को बहाल करने की मांग की है। हालांकि, भारत ने इस कोर्ट की वैधता को खार Bakeeिज कर दिया है, इसे संधि का उल्लंघन बताते हुए।

दूसरी ओर, भारत ने संकेत दिए हैं कि वह पंजाब और हरियाणा में पश्चिमी नदियों के जल को डायवर्ट करने की तकनीकी संभावनाओं पर विचार कर रहा है, हालांकि अभी सिंधु नदी को इससे बाहर रखा गया है।

निष्कर्ष

तुलबुल नेविगेशन परियोजना का पुनर्जनन और इंडस वाटर्स ट्रीटी का निलंबन भारत की जल संसाधन नीति में एक बड़े बदलाव का संकेत देता है। यह कदम न केवल जम्मू और कश्मीर में स्थानीय विकास को बढ़ावा देगा, बल्कि क्षेत्रीय जल प्रबंधन में भारत की स्थिति को और मजबूत करेगा। हालांकि, इससे भारत-पाकिस्तान संबंधों में तनाव बढ़ने की संभावना है, और यह देखना बाकी है कि यह विवाद कूटनीतिक समाधान की ओर बढ़ता है या और गहराता है।


चित्र सुझाव:

  1. झेलम नदी का दृश्य: तुलबुल परियोजना के स्थान को दर्शाने के लिए झेलम नदी और वुलर झील का एक सुंदर चित्र।

  2. निर्माण कार्य: परियोजना स्थल पर इंजीनियरों या मशीनरी का काम करते हुए का चित्र।

  3. जल प्रबंधन: जल भंडारण या नेविगेशन सुविधा को दर्शाने वाला एक योजनाबद्ध चित्र

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